दिल्ली के राजपथ पर स्थित इंडिया गेट न केवल एक भव्य स्थापत्य है, बल्कि यह भारतीय सैनिकों के अदम्य साहस और बलिदान का एक अमर प्रतीक भी है। अगर आप केंद्रीय सचिवालय से राजपथ की ओर चलें, तो दूर से ही आपको यह 42 मीटर ऊँचा, शानदार मेहराबदार स्मारक दिखाई देगा। यह केवल एक पत्थर की इमारत नहीं है, बल्कि हजारों वीर सैनिकों की अमर आत्माओं को समर्पित एक श्रद्धांजलि है।

🏛️ इतिहास की पृष्ठभूमि
इंडिया गेट का निर्माण प्रथम विश्व युद्ध और तीसरे एंग्लो-अफगान युद्ध में शहीद हुए भारतीय सेना के लगभग 70,000 जवानों की याद में किया गया था। इसका शिलान्यास 10 फरवरी 1921 को ड्यूक ऑफ कनॉट द्वारा किया गया और इसे प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियन्स ने डिज़ाइन किया था।
यह स्मारक उस दौर की याद दिलाता है जब भारतीय सैनिक, ब्रिटिश सेनाओं के अधीन होकर, विश्व युद्धों में लड़े थे। भले ही वह काल उपनिवेशवाद से जुड़ा था, पर इन सैनिकों की वीरता और त्याग आज भी सम्मान के योग्य है।
🪔 अमर जवान ज्योति – वीरता की प्रतीक
इंडिया गेट के केंद्र में स्थित है “अमर जवान ज्योति”, जिसे 1971 के भारत-पाक युद्ध के बाद स्थापित किया गया था। यह संरचना भारत के उन अज्ञात सैनिकों को श्रद्धांजलि है जिन्होंने देश की रक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
इस स्मारक में एक उलटी बंदूक पर एक सैनिक का हेलमेट रखा गया है, जो बलिदान का प्रतीक है। इसके साथ ही चारों ओर जलती रहती हैं अमर जवान ज्योति की लौ, जो 24 घंटे, 365 दिन अनवरत जलती रहती है। यह निरंतर जलती ज्योति हमें सिखाती है कि देश के रक्षक कभी नहीं मरते, वे बस अमर हो जाते हैं।
🔤 शिलालेखों में अमर नाम
इंडिया गेट की दीवारों पर शहीद हुए सैनिकों के नाम सुनहरे अक्षरों में खुदे हुए हैं। जब आप इन नामों को पढ़ते हैं, तो यह एहसास होता है कि हर नाम के पीछे एक कहानी है – एक परिवार, एक बलिदान और एक सपना।
ये नाम न केवल इतिहास को दर्ज करते हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को यह भी याद दिलाते हैं कि स्वतंत्रता और शांति का मूल्य बहुत ऊँचा होता है।
🚫 जनता के लिए बंद सीढ़ियाँ
पूर्व समय में इंडिया गेट पर बनी सीढ़ियों से छत तक चढ़कर दिल्ली का विहंगम दृश्य देखा जा सकता था। यह स्थान पर्यटकों और फोटोग्राफरों के लिए आकर्षण का केंद्र था। लेकिन अब सुरक्षा कारणों और स्मारक की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए, आम लोगों के लिए यह सीढ़ियाँ बंद कर दी गई हैं।
🌸 आसपास का क्षेत्र और सामाजिक महत्व
इंडिया गेट के चारों ओर बना खुला क्षेत्र, हर शाम स्थानीय लोगों और पर्यटकों से गुलज़ार रहता है। बच्चे खेलते हैं, परिवार पिकनिक मनाते हैं और युवा अपनी सेल्फ़ियों में इस ऐतिहासिक स्थल को कैद करते हैं। आसपास मिलने वाली स्ट्रीट फूड, आइसक्रीम और गुब्बारे इसकी जीवंतता को और बढ़ा देते हैं।
यह स्थान न केवल एक पर्यटक आकर्षण है, बल्कि एक भावनात्मक स्थल भी है, जहाँ आकर हर भारतीय का सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
✍️ मेरी ओर से कुछ शब्द
इंडिया गेट पर जब भी आप जाएँ, तो केवल उसकी सुंदरता न देखें, उसकी आत्मा को महसूस करें। यह हमें याद दिलाता है कि हमारा वर्तमान जिनके बलिदानों पर टिका है, उन्हें भूलना न केवल गलत है, बल्कि अन्याय भी होगा।
उन अमर जवानों को मेरा नमन, जिनकी वजह से हम आज़ादी की सांस ले पा रहे हैं।