भारत की राजधानी नई दिल्ली में स्थित संसद भवन (Parliament House) न केवल एक शानदार स्थापत्य कला का उदाहरण है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का प्रतीक भी है। यह भवन वह स्थान है जहाँ देश के लिए महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते हैं, कानून बनाए जाते हैं और जनता की आवाज़ को सुना जाता है।

✍️ इतिहास और निर्माण
संसद भवन का निर्माण ब्रिटिश वास्तुकार सर एडविन लुटियंस और सर हरबर्ट बेकर की देखरेख में किया गया था। इसका निर्माण कार्य वर्ष 1921 में शुरू हुआ और 1927 में पूर्ण हुआ। यह भवन राजपथ पर केन्द्रीय सचिवालय परिसर के समीप स्थित है और इसकी गोलाकार संरचना इसे विशेष पहचान देती है। इसका व्यास लगभग 171 मीटर है और यह तीन मंजिला इमारत है।
इस भवन का स्थापत्य भारतीय और यूरोपीय शैलियों का सुंदर मेल है। बाहर की ओर बनी गोलाकार स्तंभों वाली परिक्रमा इसे भव्यता प्रदान करती है। लाल और क्रीम रंग के सैंडस्टोन से निर्मित यह भवन दूर से देखने पर ही अपनी विशालता और गरिमा से प्रभावित करता है।
🌀 भीतर की संरचना
संसद भवन का मुख्य आकर्षण है इसका मध्य सभागार (Central Hall), जिसके ऊपर बना गोल गुंबद पेचीदा नक़्काशी से सुसज्जित है। यही वह स्थान है जहाँ 15 अगस्त 1947 की आधी रात को पंडित जवाहरलाल नेहरू ने “Tryst with Destiny” भाषण दिया था, और भारत स्वतंत्र राष्ट्र बना।
मध्य सभागार के चारों ओर तीन प्रमुख कक्ष हैं:
लोकसभा कक्ष (जनता का सदन)
राज्यसभा कक्ष (राज्यों का सदन)
संसद पुस्तकालय (जहाँ देश से संबंधित दस्तावेज और किताबें संग्रहीत हैं)
इन सभागारों के आसपास सुंदर फव्वारे, बाग-बगिचे, और बैठने की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जो पूरे परिसर को एक सौम्य और गरिमामय स्वरूप प्रदान करते हैं।
🧾 सुविधाएं और विशेषताएं
संसद भवन केवल विधायी कार्यों तक सीमित नहीं है। इसमें लगभग 500 कक्ष हैं, जिनमें निम्नलिखित कार्यालय शामिल हैं:
संसद सचिवालय
प्रधानमंत्री का कार्यालय (सत्र के दौरान)
बैंक शाखाएँ
डाकघर
रेलवे आरक्षण केन्द्र
मीटिंग और कमेटी हॉल
यह भवन पूरी तरह से आधुनिक संचार और सुरक्षा उपकरणों से सुसज्जित है, जिससे यहां कार्य करना आसान और सुरक्षित होता है।
🚩 लोकतंत्र की पहचान
संसद भवन पर शान से लहराता भारतीय राष्ट्रीय ध्वज सिर्फ एक प्रतीक नहीं है, बल्कि यह भारतीय लोकतंत्र की भावना का प्रतिनिधित्व करता है। यही वह स्थान है जहाँ “जनता की, जनता के लिए, और जनता द्वारा बनाई गई सरकार” अपना कार्य करती है।
यह भवन हर भारतीय को यह याद दिलाता है कि हमारा संविधान सर्वोच्च है और हर नागरिक की भागीदारी राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण है।
📝 लेखक की ओर से
“जब भी मैं संसद भवन की ओर देखता हूँ, तो वह केवल पत्थरों से बनी इमारत नहीं दिखती, बल्कि वह मुझे हमारे संविधान, हमारे अधिकारों और हमारे भविष्य की उम्मीदों की जीवंत तस्वीर लगती है। यह वह स्थान है जहाँ भारत की आवाज गूंजती है।”
🔚 निष्कर्ष
संसद भवन न केवल भारत का एक ऐतिहासिक और सांविधानिक केन्द्र है, बल्कि यह उस जीवंत लोकतंत्र का प्रतीक है जिस पर हम सभी को गर्व है। इसके विशाल कक्षों, सुनियोजित संरचना और गरिमामय इतिहास के साथ यह भवन आज भी हर भारतीय के दिल में सम्मान और गौरव का स्थान रखता है।
यदि आपको कभी राजधानी जाने का अवसर मिले, तो भले ही आप अंदर न जा सकें, बाहर से इसे देखकर ही आप भारतीय लोकतंत्र की गरिमा को अनुभव कर सकते हैं।